समाजवादी पार्टी पर अपने गढ़ बचाने का दबाव, मैनपुरी और रामपुर में पांच को उप चुनाव

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समाजवादी पार्टी  पर एक बार फिर अपने गढ़ को बचाने का दबाव है। लोकसभा उप चुनाव में रामपुर  और आजमगढ़  को गंवाने के बाद अब समाजवादी पार्टी पर पांच दिसंबर को होने वाले मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र  के उप चुनाव और रामपुर विधानसभा  के उप चुनाव में अपने गढ़ को बचाने की चुनौती है।

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव   के निधन के बाद से खाली मैनपुरी लोकसभा सीट के साथ ही पार्टी के संस्थापक सदस्य आजम खां  की विधायकी जाने के बाद से खाली रामपुर विधानसभा सीट पर पांच दिसंबर को मतदान होना है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठता एक बार फिर मुलायम सिंह और आजम खां के गढ़ में दांव पर होगी।

उत्तर प्रदेश में इससे पहले लोकसभा के उप चुनाव में भाजपा ने समाजवादी पार्टी  के बड़े गढ़ माने जाने वाले रामपुर के साथ आजमगढ़ में सेंध लगाई थी। अब भाजपा के निशाने पर मुलायम सिंह यादव की मैनपुरी और आजम खां का रामपुर है। आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव  लोकसभा सदस्य थे। रामपुर से आजम खां ने लोकसभा का चुनाव जीता था। अखिलेश यादव ने आजमगढ़ को छोड़कर मैनपुरी के करहल से और आजम खां ने रामपुर को छोड़कर रामपुर सदर से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

उप चुनाव के सभी कार्यक्रम भी जारी

इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में दस नवंबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 17 नवंबर को नामांकन की अंतिम तिथि होगी। 18 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी, जबकि 21 नवंबर तक नाम वापसी का अवसर रहेगा। पांच दिसंबर को मतदान होगा और आठ दिसंबर परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।

रामपुर और कुढ़नी का एक जैसा मामला

उत्तर प्रदेश के रामपुर में आजम खां को हेट स्पीच के मामले में तीन वर्ष की सजा हो गई है। जिसके कारण उनकी विधानसभा की सदस्यता जाने से सीट खाली हो गई। बिहार के कुढ़नी का भी मामला ऐसा ही है। रामपुर से सपा विधायक आजम खां को कोर्ट ने हेट स्पीच के मामले में दोषी ठहराते हुए तीन वर्ष की सजा सुनाई है तो कुढ़नी से राजद विधायक अनिल सहनी को एक घोटाले के मामले में सजा मिली है। इस तरह इन दोनों की सदस्यता समाप्त हो गई है। इन दोनों सीटों पर पिछले चुनावों में भाजपा को हार मिली थी, लेकिन उपचुनाव के अवसर का लाभ वह उठाना चाहेगी।

रोमांचक होगा मैनपुरी और रामपुर का उप चुनाव

पांच दिसंबर को होने वाले चुनाव में सबसे रोमांचक मुकाबला मुलायम सिंह की मैनपुरी और आजम के रामपुर में होना है। यादव बहुल मैनपुरी सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। भाजपा लंबे समय से यहां अपनी जमीन तैयार करने के लिए प्रयासरत है। विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में से मैनुपरी सदर और भोगांव भाजपा ने जीत लीं तो समाजवादी पार्टी के खाते में किशनी और करहल आई। करहल से खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मैदान में थे।

अखिलेश पर परिवार को एकजुट रखने का दबाव

लोकसभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी यादव परिवार से ही किसी को मैदान में उतारेगी। अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव के रिश्तों की कड़वाहट में शिवपाल सिंह यादव का भाजपा के प्रति लगातार नरम रुख एक संकेत देता है कि इस उपचुनाव में परिवार को एकजुट रखने में अखिलेश कामयाब न हुए तो सपा के एक और गढ़ को कब्जाने का काफी मौका भाजपा के पास होगा।

रामपुर में आजम खां और उनके परिवार की एक और परीक्षा

विधानसभा उप चुनाव में रामपुर सदर सीट बचाना भी आजम खां के लिए बड़ी चुनौती है। जब 2022 में आजम खां ने इस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा तो रामपुर लोकसभा सीट रिक्त होने से उपचुनाव हुआ। अब उनको सजा होने के बाद भाजपा उसको भुनाने के प्रयास में है। प्रदेश की भाजपा सरकार लगातार रामपुर में अपनी विकास यात्रा को तेज कर रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी लोकसभा उप चुनाव के बाद रामपुर को लेकर काफी सक्रिय भी हैं।

भाजपा ने प्रचाारित किया आजमगढ़ और रामपुर माडल

लोकसभा उप चुनाव में आजमगढ़ और रामपुर में जीत के साथ ही समाजवादी पार्टी को जोरदार झटके देने वाली भाजपा ने लम्बे समय से आजमगढ़ और रामपुर माडल का काफी प्रचार किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों क्षेत्रों में विकास कार्य की निगरानी अपने कार्यालय से कराना शुरू कर दिया। ऐसे में अब दोनों सीट से यदि समाजवादी पार्टी की प्रतिष्ठा जुड़ी है तो भाजपा परीक्षा के रणनीतिकारों की भी होनी है।

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