BJP ने जारी की 7 मेयर प्रत्याशियों की लिस्ट:कानपुर से प्रमिला पांडेय, अयोध्या से गिरीशपति त्रिपाठी और गाजियाबाद से सुनीता दयाल को मिला टिकट

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भाजपा ने रविवार देर रात अयोध्या, कानपुर, गाजियाबाद और मेरठ सहित 7 जिलों के मेयर प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी। कानपुर से प्रमिला पांडेय, गाजियाबाद से सुनीता दयाल, मेरठ से हरिकांत अहलूवालिया, अयोध्या से गिरीशपति त्रिपाठी, शाहजहांपुर से अर्चना वर्मा, अलीगढ़ से प्रशांत सिंघल और बरेली से उमेश गौतम को प्रत्याशी बनाया गया है।

इससे पहले भी भाजपा 10 जिलों के मेयर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। जिसमें लखनऊ, मथुरा, गोरखपुर, प्रयागराज, वाराणसी, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, आगरा, सहारनपुर और झांसी शामिल हैं।

1. प्रमिला पांडेय ने 1989 में कानपुर से राजनीति में कदम रखा था

भाजपा ने कानपुर से प्रमिला पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। प्रमिला 2017 में भाजपा के टिकट पर मेयर बनी थीं। वह मूल रूप से जौनपुर की रहने वाली हैं। लेकिन, उनकी कर्मभूमि कानपुर ही रही है। उनके पति रजिस्ट्रार ऑफिस से रिटायर हो चुके हैं। 12वीं तक पढ़ी प्रमिला लंबे समय तक RSS से जुड़ी रहीं। इसके बाद सिविल लाइन्स वार्ड-52 से दो बार पार्षद चुनी गईं।

वह महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। कानपुर में भाजपा के किसी भी प्रदर्शन में वह हमेशा अपनी स्कूटी पर पार्टी के चार झंडे लगाकर सबसे आगे रहती हैं। उनके पास पर्सनल बंदूक और रिवाल्वर है। जबकि पति के पास भी बंदूक और रिवाल्वर है। प्रमिला पांडेय ने 1989 में राजनीति में कदम रखा था।

2. डॉ. उमेश गौतम 2017 में भी भाजपा के टिकट पर बरेली के मेयर बने थे

बरेली में मेयर पद के लिए भाजपा ने निवर्तमान मेयर डॉ. उमेश गौतम को ही प्रत्याशी बनाया है। वह 2017 में भी भाजपा के टिकट पर बरेली में मेयर बने थे। उन्हें सीएम योगी का काफी खास माना जाता है। स्मार्ट सिटी योजना के तहत बरेली में करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। ऐसे में भाजपा ने उमेश गौतम पर ही फिर से दांव खेला है। भाजपा बरेली नगर निगम की राजनीति में 6 बार चुनाव जीत चुकी है।

3. अर्चना वर्मा ने दोपहर में BJP ज्वाइन की, शाम को मिल गया टिकट

अर्चना वर्मा 2005 में जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थीं। वह चार बार विधायक और सपा सरकार में मंत्री रहे राममूर्ति वर्मा के बेटे राजेश वर्मा की पत्नी हैं। राजेश वर्मा 2022 के विधानसभा चुनाव में ददरौल सीट से सपा के प्रत्याशी थे। भाजपा के कद्दावर नेता सुरेश कुमार खन्ना ने उनको 9,313 वोटों से हराया था। सपा को करीब एक लाख वोट मिले थे।

नगर निगम के चुनाव में भी सपा और भाजपा के बीच करीबी मुकाबला देखने को मिल सकता था। इसी वजह से सभी की नजर मेयर पद के लिए दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों पर टिकी हुई थीं। संगठन ने नामांकन के आखिरी दिन से पहले सपा उम्मीदवार को भाजपा में शामिल करा दिया है। फिलहाल, सपा की तरफ से अभी कोई भी नया कैंडिडेट घोषित नहीं किया गया है।

4. 2004 में सुनीता दयाल ने गाजियाबाद से विधानसभा का उपचुनाव लड़ा

सुनीता दयाल का राजनीतिक सफर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू हुआ। इसके बाद वह भाजपा महिला मोर्चा में प्रदेश अध्यक्ष और फिर राष्ट्रीय महामंत्री तक पहुंचीं। 2004 में सुनीता दयाल ने गाजियाबाद से विधानसभा का उपचुनाव लड़ा, लेकिन सपा के सुरेंद्र कुमार मुन्नी से हार गई थीं।

2017 में सुनीता दयाल ने मेयर टिकट मांगा, लेकिन ऐन वक्त पर उनका नाम लिस्ट से कट गया था। शुरू से संगठन में होने की वजह से सुनीता दयाल की पैरवी भाजपा का एक बड़ा वर्ग कर रहा था। वहीं, कुछ लोग शशि अरोड़ा का टिकट चाहते थे। इसे लेकर खूब हंगामा भी मचा था। आखिरकार टिकट की जंग में सुनीता दयाल ने बाजी मार ली।

5. हरिकांत अहलूवालिया ने सपा के रफीक अंसारी को दी थी शिकस्त

2012 के महापौर चुनाव में हरिकांत अहलूवालिया ने 1,98,579 मत लेकर जीत दर्ज कराई थी। हरिकांत ने उस चुनाव में सपा समर्थित प्रत्याशी रफीक अंसारी को 77, 806 मतों से हराया था। रफीक अंसारी इस समय सपा के टिकट पर मेरठ शहर के विधायक हैं। 2012 के मेयर चुनाव में कांग्रेस के देवेंद्र सिंह 53,112 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। 2012 के चुनाव में निगम में वोटिंग प्रतिशत कम रहा। इसके बावजूद भाजपा की जीत हुई थी। भाजपा प्रत्याशी हरिकांत की जीत का अंतर 107976 मतों से घटकर 77806 था।

6. 2017 में महंत गिरीश पति त्रिपाठी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे

भाजपा ने अयोध्या नगर निगम से महंत गिरीश पति त्रिपाठी को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है। वह वरिष्ठ पीठाधीश्वर तीन कलशा मंदिर के महंत हैं। 2014 के पहले वह कांग्रेस

अलीगढ़ की मेयर सीट के लिए भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। सभी पुराने कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए पार्टी ने जिले के उद्योगपति व ब्रास एक्सपोर्टर प्रशांत सिंहल को मेयर पद का प्रत्याशी चुना गया है।

वहीं, प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद भाजपा में अंतर्कलह भी शुरू होने लगी है। पुराने कार्यकर्ताओं का कहना है कि अलीगढ़ के सांसद एक करीबी होने का उद्योगपति को फायदा मिला है। यह पार्टी के लिए दिन रात एक करने वाले कार्यकर्ताओं की अनदेखी है।

पार्टी के कार्यकारी जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2017 में वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। पीठ से पूर्वांचल के करीब 10 लाख से अधिक लोग जुड़े हैं, जो उनके शिष्य भी हैं। भाजपा पार्टी ने अयोध्या से इस बार ऋषिकेश उपाध्याय का टिकट काट दिया है।

7. अलीगढ़ से उद्योगपति प्रशांत सिंघल बने मेयर प्रत्याशी

 

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